शिक्षक नहीं, एक आंदोलन का नाम हैं डॉ. अरुण शर्मा


शिक्षा सिर्फ़ करियर का ज़रिया नहीं है, बल्कि समाज में बड़े बदलाव की ताकत है। इस सोच को अपना जीवन बनाने वाले डॉ. अरुण शर्मा आज आगरा मंडल में विश्वास और प्रेरणा का दूसरा नाम बन गए हैं। गरीबी और संघर्षों से भरे बचपन से निकलकर उन्होंने साबित किया कि शिक्षा ही वो सीढ़ी है, जिससे मिट्टी से भी मुकाम तक पहुँचा जा सकता है।

कठिनाइयों से भरा बचपन और शिक्षा की ललक

इनायतपुर के एक साधारण परिवार में जन्मे अरुण शर्मा का बचपन अभावों में बीता। किताबें जुटाना और स्कूल की फीस भरना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन शिक्षा की प्यास इतनी गहरी थी कि कोई भी मुश्किल उनके हौसले को नहीं रोक पाई। उनके लिए शिक्षा सिर्फ़ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन बदलने का सबसे बड़ा हथियार बन गई थी।


देश के टॉप-10 इंजीनियरिंग कॉलेज से कॉर्पोरेट तक

गरीबी और चुनौतियों को मात देते हुए उन्होंने भारत के टॉप-10 इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक में दाखिला लिया। कड़ी मेहनत से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और फिर देश की टॉप-3 सॉफ्टवेयर कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बने। यह सफलता इस बात का प्रमाण थी कि शिक्षा किसी भी परिस्थिति को पूरी तरह बदल सकती है।


ज्ञान बाँटने का संकल्प और मोशन अकैडमी की शुरुआत

कॉर्पोरेट की दुनिया में शानदार सफलता के बावजूद उनके मन में एक विचार हमेशा गूंजता रहा कि ज्ञान का असली मूल्य तभी है, जब उसे दूसरों के साथ बाँटा जाए। इसी सोच ने उन्हें वापस शिक्षा के क्षेत्र में ला दिया। साल 2017-18 में उन्होंने अपने छोटे भाई विशाल शर्मा के साथ मिलकर आगरा में मोशन अकैडमी की नींव रखी। आज, यह संस्थान आगरा मंडल में IIT-JEE और NEET की तैयारी के लिए सबसे भरोसेमंद नाम बन चुका है। पिछले सात सालों में मोशन अकैडमी ने हज़ारों छात्रों को सफलता दिलाई है, और उनके छात्र मानते हैं कि “शर्मा सर” सिर्फ़ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक और प्रेरणा हैं।


अपनी मिट्टी का ऋण: इनायतपुर में इंटरनेशनल स्कूल

डॉ. अरुण शर्मा का मानना है कि शिक्षा का अधिकार शहर और गाँव, दोनों के बच्चों को बराबर है। इसी सोच के साथ उन्होंने इनायतपुर में मोशन इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की। यह सिर्फ़ एक स्कूल नहीं, बल्कि इस संकल्प का प्रतीक है कि गाँव का बच्चा भी विश्वस्तरीय शिक्षा और अवसर पा सकता है।

उनका जीवन-दर्शन साफ़ है: “गरीबी कोई स्थायी सच नहीं है। यह सिर्फ़ एक परिस्थिति है, जिसे शिक्षा, मेहनत और धैर्य से बदला जा सकता है।”

आज “शर्मा सर” सिर्फ़ एक शिक्षक नहीं, बल्कि शिक्षा को हर दिल तक पहुँचाने, गाँव और शहर के बच्चों को समान अवसर देने और यह साबित करने के लिए एक आंदोलन का नाम हैं कि शिक्षा ही असली शक्ति है, जो किसी भी मिट्टी को मुकाम तक पहुँचा सकती है।

Abhimanyu Singh

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