Agra News आचार्य राहुल रावत ने दिवाली पूजा विधि और महत्व बताया। जानें कैसे करें लक्ष्मी और गणेश का पूजन और शुभ फल प्राप्त करें।
देशभर में दिवाली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। दिवाली दीपों का त्योहार तो है ही, साथ ही पूजा का भी बड़ा महत्त्व है। आखरा के प्रख्यात आचार्य राहुल रावत ने दिवाली पर पूजन की विधि और इससे जुड़े शुभ फल के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
पूजा का प्रारंभ और चौकी सजाना
आचार्य रावत ने बताया कि सर्वप्रथम पूजा के लिए एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर चावल से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ। इस चिन्ह के मध्य में भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
भगवान का ध्यान और आवाहन
प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। यदि मंत्र आते हैं तो मंत्रों का प्रयोग करें। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा करें। प्राण प्रतिष्ठा में थोड़ा सा चावल हाथ में लेकर अक्षर के अनुसार भगवान के चरणों, हाथों, मुख और पूरे शरीर पर डालें।
कलावा और यज्ञोपवित
स्नान कराने के बाद भगवान को कलावा पहनाएँ। भगवान गणेश को यज्ञोपवित धारण कराएँ। उसके बाद कुमकुम और रोली से उनके माथे और शरीर पर तिलक करें।

अक्षत अर्पित करना और भोग लगाना
भगवान को अक्षत (चावल) अर्पित करें। इसके बाद भगवान को धूप, दीप और फल का भोग लगाएँ। माता लक्ष्मी को विशेष रूप से अनार अर्पित करना शुभ माना जाता है। आचार्य रावत ने बताया कि इस प्रकार पूजन करने से व्यापार और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
मंत्र जाप और आरती
पूजा के समय मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से “श्रीमहालक्ष्मी श्री गणेशाय नम” मंत्र का उच्चारण करने से पूजन का फल और अधिक प्रभावशाली होता है। इसके बाद आरती करें और दीप जलाकर भगवान को अर्पित करें।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
आचार्य रावत ने कहा कि दिवाली केवल रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह अपने मन और घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का अवसर भी है। परिवार और समाज में प्रेम, सहयोग और समर्पण बढ़ाने के लिए दिवाली का उत्सव अनिवार्य है।
पूजा का लाभ और शुभ फल
इस पूजा को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, व्यापार में उन्नति होती है और परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ और दीर्घायु रहते हैं। आचार्य रावत ने विशेष रूप से कहा कि इस विधि से पूजन करने पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं।
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