Agra News किरावली के वाकंदा खास गांव में कुएं में गिरे 6 साल के रिहांश का शव 31 घंटे बाद सेना के कमांडो ने निकाला। रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। पानी बढ़ने और खेतों में भरने से रेस्क्यू रुका था।
किरावली तहसील के वाकंदा खास गांव की दुखद घटना; पिता बचाने दौड़ा, मगर बेटा कुएं में जा गिरा; ग्रामीणों ने प्रशासन की धीमी कार्रवाई पर जताया कड़ा विरोध
आगरा के किरावली तहसील अंतर्गत वाकंदा खास गांव में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जहाँ 6 साल के मासूम रिहांश को 31 घंटे तक चले अथक रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी मृत ही बाहर निकाला जा सका। बच्चे का शव मिलने के बाद उसके परिवार और पूरे गांव में चीख-पुकार मच गई। प्रशासन को जब एसडीआरएफ को कामयाबी नहीं मिली, तो अंत में सेना के कमांडो की मदद ली गई।
ऐसे हुई दुखद घटना
यह घटना शुक्रवार दोपहर की है। वाकंदा खास गांव के निवासी रामगोपाल अपने खेत में आलू बो रहे थे। उनका 6 साल का बेटा रिहांश खेलते-खेलते खेत के किनारे बने एक पुराने कुएं के पास पहुँच गया।
- पिता ने किया प्रयास: पिता रामगोपाल ने आवाज देकर बच्चे को रोकने की कोशिश की, मगर तब तक रिहांश कुएं में जा गिरा। यह देखते ही पिता चीखते हुए बेटे को बचाने दौड़े, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
- सूचना और बचाव कार्य: घटना का पता चलते ही ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस-प्रशासन की टीम फायर ब्रिगेड के साथ मौके पर पहुँची। पहले गांव के ही गोताखोर कुएं में उतरे, लेकिन कुएं में पानी ज्यादा होने के कारण वे बच्चे को नहीं तलाश पाए।
रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा और ग्रामीणों का गुस्सा
बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए प्रशासन ने बचाव कार्य तुरंत शुरू किया, लेकिन उन्हें बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ा।
- पानी की समस्या: कुएं से पानी निकालने के लिए 3 पंप लगाए गए थे। शुक्रवार रात तक लगातार पानी निकालने से आसपास के खेतों में काफी पानी भर गया। इससे बचाव कार्य में अड़चन आई और शुक्रवार रात 12:30 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा।
- पुनः शुरुआत: शनिवार सुबह तक खेतों का पानी मिट्टी में समा गया। शनिवार सुबह 9 बजे फिर से 2 पंप सेट और सबमर्सिबल लगाकर कुएं का पानी निकालना शुरू किया गया।
- दूसरी बार रुकावट: प्रशासन जितना पानी निकाल रहा था, उतना ही पानी फिर से कुएं में बढ़ रहा था। खेतों में पानी भरने से ग्रामीणों की फसल खराब होने लगी। इस स्थिति को देखते हुए शनिवार दोपहर लगभग 2 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन दूसरी बार रोकना पड़ा।
सेना की मदद और बच्चे का शव बरामद
बच्चे का 30 घंटे से अधिक समय तक कोई सुराग नहीं मिलने से ग्रामीणों और परिजनों में भारी नाराजगी थी।
- विरोध प्रदर्शन: शनिवार शाम को DCP ईस्ट अतुल शर्मा जब घटनास्थल पर पहुँचे, तो उन्हें ग्रामीणों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। परिजन और ग्रामीण बचाव कार्य में देरी का हवाला देकर भड़क गए। बड़ी मुश्किल से उन्हें शांत किया गया।
- अंतिम प्रयास: इसके बाद शाम लगभग 6 बजे फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। प्रशासन ने SDRF को कामयाबी न मिलती देख सेना की मदद ली।
- सफलता: रात आठ बजे के बाद सेना के तीन कमांडो कुएं में उतरे। उन्होंने कुएं के निचले हिस्से में फंसी डेड-बॉडी को बरामद कर लिया। रात करीब 9 बजे बच्चे को कुएं से बाहर निकाला गया। तब तक रिहांश की साँसें थम चुकी थीं।
बच्चे को मरा हुआ देखकर पिता रामगोपाल और परिवार के लोगों में चीख-पुकार मच गई। शुक्रवार रातभर से शनिवार देर रात तक सैकड़ों की संख्या में गांव वाले कुएं के पास डेरा डाले रहे, और अंत में बच्चे के शव को देखकर सभी की आँखें नम हो गईं।
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