Agra News शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) जितेंद्र कुमार गौड़ ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बिना विभागीय अनुमति के कक्षाएं और अनुभाग संचालित करने के गंभीर आरोप में उन्होंने कई नामी स्कूलों को नोटिस जारी किया है। इनमें मुख्य रूप से सेंट पैट्रिक्स जूनियर कॉलेज, सेंट पीटर्स कॉलेज, सेंट जॉर्ज स्कूल, और सेंट फेलिक्स प्री प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। यह कार्रवाई शिक्षा की गुणवत्ता और सरकारी शासनादेशों के उल्लंघन को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की बढ़ती सख्ती को दर्शाती है।
बिना स्वीकृति के चल रही थीं कक्षाएं
बीएसए द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन स्कूलों में वैसे विभाग की पूर्व स्वीकृति के बिना ही कई कक्षाएं और अनुभाग शुरू कर दिए गए थे, जिनका संचालन लंबे समय से किया जा रहा है। विभागीय जांच में यह सामने आया कि स्कूल प्रशासन ने मनमाने ढंग से कई कक्षाओं का विस्तार किया है।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि कई कक्षा कक्षों में मानकों से अधिक छात्रों का नामांकन कर लिया गया है, जो शासनादेश का सीधा उल्लंघन है। नियमों के अनुसार, प्रत्येक कक्षा कक्ष में छात्रों की एक निश्चित संख्या निर्धारित होती है, जिसका उल्लंघन न केवल शैक्षिक गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि सुरक्षा मानकों पर भी सवाल खड़े करता है। शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह मनमानी फीस वसूली और अतिरिक्त राजस्व कमाने के उद्देश्य से की गई है।
तीन कार्यदिवस में माँगा स्पष्टीकरण
बीएसए जितेंद्र कुमार गौड़ द्वारा जारी नोटिस में संबंधित स्कूलों से तीन कार्यदिवस के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। यह समय सीमा बेहद सख्त मानी जा रही है।
स्कूलों को यह भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे विभागीय अनुमति पत्रों की प्रति के साथ अपने पक्ष में ठोस दस्तावेज प्रस्तुत करें। यह कार्रवाई न केवल निजी स्कूलों में चल रही मनमानी पर रोक लगाने की पहल है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि स्कूल आरटीई (Right to Education) के नियमों और मानकों का पालन करें।
जवाब न देने पर होगी कार्रवाई
नोटिस में साफ-साफ चेतावनी दी गई है कि यदि तय समय सीमा में स्कूलों की तरफ से जवाब नहीं आया या उत्तर संतोषजनक नहीं होगा, तो यह मान लिया जाएगा कि स्कूल बिना स्वीकृति के ही कक्षाएं चला रहे हैं।
ऐसी स्थिति में स्कूल प्रशासन स्वयं उत्तरदायी होगा और विभाग उनके खिलाफ मान्यता रद्द करने सहित कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। यह चेतावनी शिक्षा विभाग की गंभीरता को दर्शाती है। हाल के दिनों में कई जिलों में गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर भारी जुर्माना और उन्हें बंद करने की कार्रवाई की गई है। आगरा का यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई उन प्रतिष्ठित निजी स्कूलों पर लगाम लगाने का प्रयास है, जो लंबे समय से स्थानीय प्रशासन के नियमों की अनदेखी करते आ रहे थे। इस सख्त कदम से अन्य निजी स्कूलों में भी हड़कंप मच गया है और वे अपने रिकॉर्ड दुरुस्त करने में जुट गए हैं। बीएसए जितेंद्र कुमार गौड़ ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा के मानकों और बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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