Agra News: अपार्टमेंट ग्रुप पर आपत्तिजनक मैसेज

Agra News ताजगंज स्थित एक अपार्टमेंट की ग्रुप चैट में सोसायटी अध्यक्ष ने आपत्तिजनक मैसेज पोस्ट कर दिया। एक महिला ने इसकी शिकायत पुलिस से करने की बात कही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

आगरा की ताजगंज स्थित एक हाई-प्रोफाइल अपार्टमेंट सोसाइटी में इस वक्त हड़कंप मचा हुआ है। इसकी वजह कोई बड़ा अपराध नहीं, बल्कि सोसाइटी के अध्यक्ष (President) द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप पर किया गया एक आपत्तिजनक मैसेज है। यह मामला सिर्फ मैसेज डिलीट करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने एक बड़ा सामाजिक और कानूनी विवाद खड़ा कर दिया है। ग्रुप की एक महिला सदस्य ने इस मैसेज को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर ली है।

घटना लगभग एक सप्ताह पहले देर रात 1 बजे के आस-पास की है। सोसायटी के निवासियों के लिए बनाए गए इस व्हाट्सएप ग्रुप पर एक महिला सदस्य ने कोई सामान्य मैसेज पोस्ट किया था। इसके कुछ ही देर बाद, सोसायटी के अध्यक्ष की ओर से उस महिला के मैसेज के थ्रेड (thread) में एक ऐसा पोस्ट किया गया, जिसकी भाषा और सामग्री आपत्तिजनक थी।

सूत्रों के अनुसार, यह मैसेज इतना अपमानजनक और अशिष्ट (indecent) था कि इसे पढ़ते ही ग्रुप में मौजूद सभी सदस्यों में सनसनी फैल गई। देर रात होने के बावजूद कई सदस्यों ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। हालांकि, मैसेज पोस्ट होने के कुछ ही देर बाद, अध्यक्ष महोदय ने अपनी गलती मानते हुए उस पोस्ट को ग्रुप से तुरंत ‘डिलीट फॉर एवरीवन’ (Delete for Everyone) कर दिया। लेकिन तब तक, इस मैसेज के स्क्रीनशॉट कुछ सदस्यों द्वारा लिए जा चुके थे, जिससे मामला शांत नहीं हुआ।

अध्यक्ष का स्पष्टीकरण: ‘गलती से हुआ पोस्ट, पत्नी के लिए था’

मामले की गंभीरता को देखते हुए, सोसायटी के सचिव (Secretary) ने तुरंत अध्यक्ष से इस विषय पर बात की। सचिव ने मीडिया को बताया कि अध्यक्ष महोदय ने इस घटना पर स्पष्टीकरण दिया है। उनके अनुसार, वह मैसेज उन्होंने निजी तौर पर अपनी पत्नी के लिए लिखा था, जिसे वह गलती से सोसाइटी के बड़े ग्रुप में पोस्ट कर बैठे। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी गलती का तुरंत अहसास हुआ और उन्होंने तुरंत उसे डिलीट कर दिया। उन्होंने अपने इस अनजाने कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी है।

हालांकि, अध्यक्ष की यह दलील कुछ सदस्यों, विशेषकर ग्रुप की महिला सदस्यों को रास नहीं आई। उनका कहना है कि देर रात 1 बजे भी इस तरह का मैसेज किसी भी सार्वजनिक या निजी समूह में करना स्वीकार्य नहीं है।

महिला ने उठाई कानूनी कार्रवाई की मांग

इस पूरे घटनाक्रम से आहत एक महिला सदस्य ने अब इस मामले को गंभीरता से लेने का फैसला किया है। उन्होंने इस पूरे मामले को महिला सम्मान के खिलाफ बताया है। महिला ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह इस घटना को यूँ ही नहीं जाने देंगी और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) कार्यालय में करने की बात कही है। महिला का कहना है कि एक सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी अभद्र भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती।

मामले की जानकारी मिलते ही, ताजगंज थाना (Tajganj Police Station) भी सक्रिय हो गया है। थाना इंस्पेक्टर जसवीर सिंह सिरोही ने इस संबंध में बयान दिया है। उन्होंने कहा, “हमें मामले की जानकारी मिली है। यदि महिला द्वारा लिखित शिकायत दी जाती है, तो उस पर तुरंत गंभीरता से जांच शुरू की जाएगी। ग्रुप चैट के स्क्रीनशॉट और मैसेज की सत्यता की जांच के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।”

यह घटना एक बार फिर इस बात पर जोर देती है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर, खासकर सामूहिक समूहों (Group Chats) में, सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों को अपनी भाषा और व्यवहार के प्रति कितना सतर्क रहना चाहिए। व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर किया गया एक क्षणिक गलत पोस्ट भी कैसे गंभीर सामाजिक और कानूनी परिणाम पैदा कर सकता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सोसाइटी अध्यक्ष का यह व्यवहार बेहद गैर-जिम्मेदाराना (irresponsible) है। कई लोगों ने मांग की है कि यदि जांच में अध्यक्ष दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दूसरी ओर, कुछ सदस्य अध्यक्ष के पक्ष में खड़े हैं, उनका तर्क है कि यह एक “मानवीय भूल” (human error) थी और मामला व्यक्तिगत था। सोसाइटी में अब दो गुट बन गए हैं, जिससे निवासियों के बीच का आपसी माहौल तनावपूर्ण हो गया है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मैसेज की सामग्री वाकई में आपत्तिजनक है और किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाती है, तो अध्यक्ष पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) के तहत भी कार्रवाई हो सकती है। पुलिस की जांच अब इस बात पर टिकी है कि मैसेज की सटीक सामग्री क्या थी और उसे किस इरादे से पोस्ट किया गया था, भले ही वह अनजाने में हुआ हो।

अध्यक्ष द्वारा मैसेज डिलीट कर दिए जाने के बावजूद, इस बात की पूरी संभावना है कि पुलिस फॉरेंसिक साक्ष्यों (forensic evidence) के आधार पर डिलीट किए गए मैसेज को भी रिकवर करने का प्रयास कर सकती है। यह मामला दिखाता है कि डिजिटल युग में, गोपनीयता (privacy) और सार्वजनिक आचरण (public conduct) के बीच की रेखा कितनी महीन होती जा रही है। आगरा के इस अपार्टमेंट में अब सभी की निगाहें पुलिस जांच के नतीजे पर टिकी हैं।

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Abhimanyu Singh

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