Agra News उटंगन नदी हादसे में 110 घंटे बाद एक और शव मिला। 13 में से अब तक 7 के शव निकाले जा चुके हैं। सेना, NDRF और SDRF 5 लापता की तलाश में हैं।
Agra News खेरागढ़ क्षेत्र स्थित उटंगन नदी में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए हृदय विदारक हादसे को अब 110 घंटे से अधिक का समय हो चुका है। इस भीषण दुर्घटना में डूबे 13 लोगों में से अब तक 7 के शव निकाले जा चुके हैं, जिससे शोकाकुल परिवारों को कुछ राहत मिली है। सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक और युवक विनेश का शव नदी की गहराई से बरामद किया गया। सेना, एनडीआरएफ (NDRF), और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें स्थानीय लोगों के साथ मिलकर बाकी 5 लापता युवकों की तलाश में रात-दिन जुटी हुई हैं। वहीं, हादसे में बाल-बाल बचे एक घायल युवक का इलाज अभी भी अस्पताल में जारी है।
तलाश जारी, पीड़ितों के नाम
इस दर्दनाक हादसे के शिकार हुए 13 युवकों में से अब तक 7 शव निकाले जा चुके हैं। इनमें गगन, ओमपाल, मनोज, भगवती, अभिषेक, करन और सोमवार को बरामद हुए विनेश के नाम शामिल हैं। करन का शव रविवार को कंप्रेसर मशीन की मदद से निकाला गया था।
अब भी 5 युवक लापता हैं, जिनकी तलाश में रेस्क्यू टीमें नदी के हर कोने को खंगाल रही हैं। लापता युवकों के नाम हैं: सचिन, हरेश, गजेंद्र, दीपक और ओकेश। इन परिवारों के लिए 110 घंटे का यह इंतजार अत्यंत कष्टकारी साबित हो रहा है। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि तलाशी अभियान में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
स्थानीय युवकों की अनूठी पहल: अस्थायी बांध
नदी की तेज धारा और दलदल भरी गहराई रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस चुनौती से निपटने के लिए क्षेत्रीय युवकों ने अभूतपूर्व साहस और मेहनत का परिचय दिया है। उन्होंने रात-दिन की परवाह किए बिना लगभग 250 मीटर के डूब क्षेत्र में नदी के पानी का बहाव रोकने के लिए 40 मीटर लंबा एक अस्थायी बांध बना दिया है।
इसके अलावा, नदी की मुख्य धारा को डूब क्षेत्र के बीच से नाला बनाकर दूसरी ओर मोड़ा गया है, जिससे बचाव कार्य में लगी टीमों को गड्ढों की गहराई तक पहुँचने में आसानी हो सके। पोकलेन और जेसीबी मशीनों की मदद से नदी के तल में खुदाई का काम भी युद्ध स्तर पर जारी है ताकि लापता युवकों का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके। स्थानीय युवाओं का यह प्रयास सामुदायिक एकजुटता का एक महान उदाहरण है।
कंप्रेसर तकनीक बनी आशा की किरण
उटंगन नदी के गहरे और दलदली गड्ढों में फंसे शवों को निकालने के लिए एक अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अब तक बेहद कारगर साबित हुई है। इस तकनीक में ऐसे कंप्रेसर का इस्तेमाल हो रहा है, जिसका प्रयोग सामान्यतः जमीन में 100 से 300 फीट तक फंसे सबमर्सिबल पंप को बाहर निकालने में किया जाता है।
जब पंप बालू या मिट्टी के कारण फंस जाते हैं, तब कारीगर कंप्रेसर से हवा के पाइप को भूमिगत पंप की पाइप लाइन में डालते हैं। तेज हवा के दबाव से मिट्टी या बालू हट जाती है और पंप बाहर आ जाता है। उटंगन में इसी सिद्धांत का उपयोग किया गया। स्कूबा ड्राइवर कंप्रेसर के पाइप को नदी के अंदर गहरे गड्ढों में लेकर गए और मिट्टी को हटाने के लिए तेज हवा का इस्तेमाल किया। तकरीबन 30 मिनट तक मिट्टी हटाने के बाद ही करन का शव बाहर निकाला जा सका, जिसे किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं पहुंचा था। अब इस सफलता को देखते हुए तीन और कंप्रेसर मशीनों को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया जाएगा।
खनन से बने गहरे गड्ढे बड़ी समस्या
बचाव दल ने पाया है कि जिस स्थान पर सभी युवक डूबे थे, वह अवैध खनन की वजह से 25 से 30 फीट तक गहरा गड्ढा बन चुका था। इस गड्ढे में दलदल की मात्रा अत्यधिक थी, जिसके कारण फंसे हुए युवक बाहर नहीं आ सके। कंप्रेसर मशीन की मदद से इस दलदल और मिट्टी को हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है, जिससे उम्मीद है कि बाकी 5 लापता युवकों की तलाश जल्द पूरी होगी और उनके परिवारों को शांति मिल सकेगी।
Agra: उटंगन नदी त्रासदी: करन का शव मिला, मां-पत्नी बेसुध!


































































































