Agra News बोदला जमीन कांड में इंस्पेक्टर आनंद वीर सिंह को डीजीपी मुख्यालय से क्लीन चिट मिली। सीआईडी की मुकदमे की संस्तुति रद्द। अब कोर्ट करेगा अंतिम फैसला।
Agra News आगरा का चर्चित बोदला जमीन कांड, जिसमें एक बड़ा बिल्डर और उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय पर भी गंभीर सवाल उठे थे, उस मामले की विवेचना में एक चौंकाने वाला मोड़ आया है। डीजीपी मुख्यालय ने इस मामले में विवेचना अधिकारी रहे इंस्पेक्टर आनंद वीर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सीआईडी की संस्तुति को निरस्त कर दिया है। इंस्पेक्टर आनंद वीर सिंह को इस निर्णय से बड़ी राहत मिली है।

हाई प्रोफाइल केस में राजनैतिक कनेक्शन
यह बोदला जमीन कांड अपनी जटिलता के साथ-साथ उच्च राजनैतिक संपर्कों के कारण भी चर्चित रहा है। यह वही मामला है जहाँ जमीन विवाद में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और एक बड़े बिल्डर का नाम सामने आया था।
जाँच के दौरान मंत्री जी के बेटे आलोकिक उपाध्याय की एक वीडियो भी वायरल हुई थी, जिसमें वह कथित तौर पर धमकाते हुए दिखाई दिए थे। इस हाई प्रोफाइल कनेक्शन ने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया था।
डीजीपी का निर्णय: क्या दबाव में हुआ केस रद्द?
सीआईडी ने अपनी गहन जाँच रिपोर्ट में पाया था कि इंस्पेक्टर आनंद वीर सिंह (तत्कालीन थाना जगदीशपुरा प्रभारी निरीक्षक) ने विवेचना के दौरान गलत आरोप पत्र प्रेषित किया था। सीआईडी ने आनंद वीर सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 166A (कानूनी निर्देशों का उल्लंघन) के तहत मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की थी।
हालाँकि, पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि डीजीपी मुख्यालय ने इस संस्तुति को रद्द कर दिया है। कमिश्नरेट की ओर से डीजीपी कार्यालय को बताया गया था कि इंस्पेक्टर आनंद वीर सिंह ने एसआईटी के निर्देशन में चार्जशीट लगाई थी और कोर्ट ने उस पर संज्ञान ले लिया है और सुनवाई चल रही है। इसलिए अंतिम निर्णय अब कोर्ट की ओर से लिया जाना है।
लेकिन जनता के बीच अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और उनके बेटे आलोकिक उपाध्याय जैसे उच्च पदस्थ लोगों के शामिल होने के कारण यह इतना हाई प्रोफाइल केस बन गया कि डीजीपी मुख्यालय ने इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा रद्द कर दिया? यह प्रश्नचिह्न पुलिस और राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
फर्जीवाड़े का मूल आधार और अन्य अभियुक्त
बोदला जमीन कांड का मूल फर्जीवाड़ा टहल सिंह की जमीन से जुड़ा है, जिन्हें उमा देवी नाम की फर्जी महिला ने मृत दर्शाकर केस दर्ज कराया था।
सीआईडी ने टहल सिंह (जिन पर अनुचित आर्थिक लाभ के लिए जमीन की डील करने का आरोप है) के खिलाफ केस दर्ज करने की संस्तुति की है। इसके साथ ही फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के आरोप में नगर निगम के दो कर्मचारियों, अजय कुमार (सफाई नायक, नगर निगम लोहामंडी ज़ोन) और परमानन्द (तत्कालीन सफाई एवं खाद्य निरीक्षक, हाल मुख्य सफाई एवं खाद्य निरीक्षक नगर निगम सहारनपुर) के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति दी गई है।
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने स्पष्ट किया है कि आनंद वीर सिंह के खिलाफ मुकदमे की संस्तुति रद्द हो गई है, लेकिन फर्जीवाड़े और सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के अन्य आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी। अब इस पूरे मामले में इंस्पेक्टर की गलती का अंतिम फैसला केवल न्यायालय के हाथ में है।
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