Agra News एडीजे-13 महेश चंद वर्मा ने जमानतदार की संपत्ति कुर्क करने के आदेश का पालन न करने पर जिलाधिकारी (डीएम) से स्पष्टीकरण मांगा है। डीएम को 11 नवंबर तक जवाब देने का वक्त दिया गया है। इसे कर्तव्य में लापरवाही माना गया।
आरोपी राकेश उर्फ बिट्टू के जमानतदारों की संपत्ति कुर्क करने का नहीं हुआ आदेश पालन; अदालत ने इसे ‘न्यायालय की अवमानना’ माना
आगरा में न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था के बीच जवाबदेही को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। एडीजे-13 महेश चंद वर्मा की अदालत ने न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित न करने पर जिलाधिकारी (डीएम) से स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी को नोटिस भेजा है और उन्हें 11 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का वक्त दिया है।
यह मामला कोर्ट के आदेशों की अवहेलना और कर्तव्यों में लापरवाही से जुड़ा है, जिसे अदालत ने अत्यंत गंभीरता से लिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला आरोपी राकेश उर्फ बिट्टू से जुड़ा है, जिसका मामला अदालत में लंबे समय से लंबित है।
- आरोपी की गैरहाजिरी: आरोपी राकेश उर्फ बिट्टू लगातार अदालत में हाजिर नहीं हो रहा था, जिसके कारण अदालत ने उसके विरुद्ध कई प्रतिकूल आदेश पारित किए।
- जमानतदारों पर कार्रवाई: जब आरोपी हाजिर नहीं हुआ, तो अदालत ने जमानत की राशि वसूलने के लिए उसके जमानतदारों पर कार्रवाई का आदेश दिया।
अदालत ने आरोपी राकेश उर्फ बिट्टू के जमानतदार रमेश चंद और महेश चंद (दोनों निवासी बाह) के विरुद्ध उनकी चल-अचल संपत्ति कुर्क और विक्रय कर जमानत की राशि के रूप में 20-20 हजार रुपये की धनराशि वसूलकर अदालत में जमा कराने का सीधा आदेश जिलाधिकारी को दिया था।
डीएम पर लगा आदेश न मानने का आरोप
एडीजे-13 महेश चंद वर्मा ने पाया कि उनके द्वारा पारित आदेश का अनुपालन जिलाधिकारी द्वारा नहीं किया गया। इसके बाद अदालत ने जिलाधिकारी को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है।
नोटिस में साफ कहा गया है कि अदालत द्वारा डाक और ईमेल के माध्यम से भेजे गए कुर्की आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।
न्यायालय ने इस लापरवाही पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है:
“यह न्यायालय की अवमानना व कर्तव्य में लापरवाही का द्योतक है।”
अदालत ने इस मामले को अत्यंत गंभीर माना है, क्योंकि न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना प्रशासनिक अधिकारियों का प्रथम और अनिवार्य कर्तव्य है। इस नोटिस से आगरा के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जिलाधिकारी को अब 11 नवंबर तक अदालत में इस संबंध में अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा।
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