Agra News हाईप्रोफाइल बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्याकांड में न्यायालय ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट बार असोसिएशन के अध्यक्ष बृजेंद्र रावत, उनकी बेटी मोना उर्फ प्रियंका और बेटे कृष्णा रावत को दोषी करार देकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। एडीजे सप्तम नितिन कुमार ठाकुर ने मोना और कृष्णा को हत्या के आरोप में, जबकि बृजेंद्र रावत को साक्ष्य नष्ट करने का दोषी माना है। फैसला सुनाए जाने के बाद पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। कल बुधवार, 15 अक्टूबर को कोर्ट में इनकी सजा पर निर्णय सुनाया जाएगा। यह मामला दो साल से चर्चा में रहा है।
दबंगई का जाल टूटा: दामाद की हत्या में बेटी और बेटे को माना दोषी
कलेक्ट्रेट बार असोसिएशन के अध्यक्ष पद पर दो दशक से काबिज रहे बृजेंद्र रावत की दबंगई और पैंतरेबाजी इस मामले में काम नहीं आई। वकील होने के नाते उन्होंने अपनी खुद की मांग उजाड़ने वाली बेटी और सहयोग करने वाले बेटे को बचाने के लिए साक्षियों को खुर्दबुर्द करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन न्यायालय ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सत्य को स्थापित किया।
कोर्ट में यह साबित हो गया कि बैंक मैनेजर दामाद सचिन उपाध्याय की हत्या उसकी पत्नी मोना उर्फ प्रियंका और साले कृष्णा रावत ने की है, और ससुर बृजेंद्र रावत ने हत्या के साक्ष्य मिटाने में उनका सहयोग किया। दबंगई सिखाने और गलत कामों में बेटे का साथ देने वाले बृजेंद्र रावत को भी कोर्ट ने दोषी ठहराया है।

विवाह से हत्या तक: पूरे मामले की टाइमलाइन
सचिन उपाध्याय (बैंक ऑफ इंडिया के शमशाबाद शाखा के मैनेजर, टिकैतपुर निवासी) की शादी 2015 में बृजेंद्र रावत की बेटी मोना उर्फ प्रियंका से हुई थी।
- उत्पीड़न की शुरुआत: सचिन के पिता केशव देव शर्मा ने बताया कि शादी के बाद प्रियंका ने उत्पीड़न शुरू कर दिया। गुजरात में पोस्टिंग के दौरान भी वह सचिन से मामूली बातों पर लगातार झगड़ा और मारपीट करती थी।
- अलग रहना: प्रियंका के परिवार से अलग रहने की जिद के चलते सचिन ने 2020 में शमशाबाद रोड स्थित राम रघु एग्जॉटिका में मकान लिया था।
- पिता और भाई का सहयोग: बताया गया कि बृजेंद्र रावत और भाई कृष्णा ने हमेशा प्रियंका का साथ दिया और दामाद सचिन को धमकाते थे।
- हत्या का कारण: सितंबर 2023 में सचिन द्वारा छोटे भाई के नाम पर पेट्रोल पंप का आवेदन करने पर प्रियंका ने विरोध करके क्लेश करना शुरू कर दिया।
- 12 अक्टूबर 2023: घर में ही सचिन उपाध्याय की हत्या कर दी गई। बृजेंद्र रावत ने इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की।
साक्ष्य जिसने साजिश की खोली पोल
मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते पुलिस ने तीन डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमॉर्टम कराया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और तकनीकी साक्ष्यों ने मामले की हकीकत बयां कर दी।
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट: रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत की पुष्टि हुई। शरीर पर एक-दो नहीं बल्कि छह चोट के निशान थे, और गर्म प्रेस से जलने के दो निशान भी थे।
- मोबाइल लोकेशन: हत्या वाले दिन प्रियंका और भाई कृष्णा दोनों की लोकेशन सचिन के घर पर थी।
- बातचीत: दोनों के बीच घटना से पहले और बाद में कई बार बातचीत हुई थी।
- खोए साक्ष्य: सचिन का मोबाइल और कार की चाबी गायब थी, जिन्हें बाद में कृष्णा की निशानदेही पर बरामद किया गया।
- बचाव पक्ष की झूठ: प्रियंका ने पहले पुलिस को शव कमरे में मिलने की बात कही थी, जबकि कोर्ट में ड्राइवर की मदद से शव फंदे से उतारने की बात कही।
अभियोजन पक्ष की ओर से वादी मुकदमा सहित 18 गवाह प्रस्तुत किए गए, जबकि बचाव पक्ष ने साक्ष्यों को खुर्दबुर्द करने की पूरी कोशिश की। सचिन के पिता केशव देव ने वकील अवधेश शर्मा की मदद से पैरवी की।
फैसला सुनाए जाने के बाद, केशव देव ने मांग की कि हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई जाए। उन्होंने कहा कि हत्यारों को फांसी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है।
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