Agra News विशेष न्यायालय पोक्सो एक्ट की कोर्ट ने बृहस्पतिवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 5.5 साल की मासूम बालिका के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषी रिश्तेदार अमित और उसके दोस्त निखिल को फांसी की सजा सुनाई है। 18 मार्च 2024 को हुई इस जघन्य घटना ने पूरे आगरा और उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया था।
कर्ज चुकाने के लिए किया अपहरण, फिर की हैवानियत
कोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्यों और पुलिस की जांच के अनुसार, दोषी अमित बालिका का रिश्तेदार था। अमित और उसका दोस्त निखिल साझेदार थे और उन्होंने भदरौली में कपड़े की दुकान खोली थी। दुकान में घाटा होने के कारण वे ₹50,000 का कर्ज नहीं चुका सके और ब्याज सहित ₹2,00,000 का बकाया हो गया। कर्ज चुकाने के लिए दोनों ने बालिका के अपहरण की योजना बनाई।
18 मार्च 2024 को बालिका पड़ोस के बच्चों के साथ नहर के किनारे खेल रही थी। तभी अमित अपने दोस्त निखिल के साथ बाइक पर आया और उसे अपहरण कर ले गया। शोर मचाने पर दोनों घबराकर बालिका को सरसों के खेत में ले गए। वहाँ सामूहिक दुष्कर्म और अप्राकृतिक कृत्य किया।
गला घोंटकर की हत्या, फिर माँगी फिरौती
दुष्कर्म के बाद बच्ची को खेत में घसीटा जाता रहा। जब बालिका छटपटाती रही, तो हैवानियत की हदें पार करते हुए निखिल ने बालिका के टॉप से ही उसका गला घोंटकर हत्या कर दी।
हत्या के बाद, शव को छिपाकर दोनों ने परिजन और पुलिस को गुमराह करने के लिए तलाश करने का नाटक भी किया। अगले दिन निखिल ने दो अलग अलग नंबरों से कॉल करके बालिका के पिता से ₹6,00,000 की फिरौती भी मांगी। शक होने पर पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया और पूछ्ताछ में आरोपितों ने अपराध कबूल कर लिया। बालिका का शव खेत से बरामद हुआ।
न्यायिक प्रक्रिया और परिजनों की प्रतिक्रिया
इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया तेजी से चली: 19 मार्च को एफआईआर, 19 अप्रैल को आरोप पत्र दाखिल, 26 अप्रैल से ट्रायल शुरू। आठ अक्तूबर 2025 को दोषी करार दिए गए और 16 अक्टूबर को सजा सुनाई गई।
फांसी की सजा सुनाए जाने पर मृतका के दादा ने संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि दरिंदे फांसी पर लटकेंगे तो कलेजे को ठंडक पहुंचेगी। दादी ने बताया कि डेढ़ साल से घर में कोई त्योहार (होली, रक्षाबंधन, दिवाली) नहीं मनाया गया था, अब पहली बार दिवाली बनेगी। माँ ने कोर्ट में कहा कि वह चाहती हैं कि दरिंदों को उनकी आँखों के सामने फांसी पर लटकाया जाए।
विशेष न्यायाधीश का मार्मिक आदेश
विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त अमित विश्वास के संबंध में था, परंतु उसने मर्यादा को लांघा और नन्ही अबोध बालिका के विरुद्ध हवस पूर्ति की। अदालत ने यह भी कहा कि जिस बालिका को माता पिता ने कभी सुई भी न चुभने दी होगी, उसने स्वयं का जीवन बचाने के लिए कितना संघर्ष किया होगा।
जज ने आदेश में एक मार्मिक कविता भी लिखी: एक बलात्कारी दिन आया आके बीत गया, रोया खबरें सुन सुन कर मन मानो रीत गया। बच्चियों तक को नहीं बख्शा इन असुरों ने, खुदा शायद हार गया शैतान जीत गया। छीन ली कुछ मासूमों की मुस्कान सदा के लिए, खिलखिलाहटें थमी और जीवन संगीत गया।
कोर्ट में फैसला सुनते ही दोनों दोषियों के परिजन जोर-जोर से रोने लगे, जबकि निखिल की माँ ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही।
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