एस.एन. मेडिकल कॉलेज में ‘हेपेटाइटिस क्लिनिक’ का उद्घाटन, जन-जागरूकता पर जोर

विश्व हेपेटाइटिस सप्ताह के तहत आयोजित हुआ सीएमई, विशेषज्ञों ने लिवर कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव के उपाय बताए

आगरा, ,3 अगस्त 2025,

आगरा: विश्व हेपेटाइटिस सप्ताह के उपलक्ष्य में, एस.एन. मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग और मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर (MTC) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (NVHCP) के अंतर्गत, आज एल.टी.-4 में एक शैक्षणिक संगोष्ठी (CME) और जन-जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम थी: “Hepatitis: Let’s Break it Down”

इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कॉलेज के प्राचार्य एवं डीन, डॉ. प्रशांत गुप्ता ने मेडिसिन विभाग की दूसरी मंजिल पर स्थित कक्ष संख्या 52 में एक समर्पित ‘हेपेटाइटिस क्लिनिक’ का उद्घाटन किया। इस क्लिनिक का मुख्य उद्देश्य आम जनता को हेपेटाइटिस से संबंधित सभी प्रकार की जाँच, परामर्श और उपचार की सुविधाएँ एक ही स्थान पर निःशुल्क उपलब्ध कराना है।

विशेषज्ञों ने दी विस्तृत जानकारी

सीएमई में हेपेटाइटिस के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने विस्तृत व्याख्यान दिए, जिससे चिकित्सकों और उपस्थित लोगों को इस बीमारी के बारे में गहन जानकारी मिली।

  1. Diagnosis of Viral Hepatitis: एसोसिएट प्रोफेसर एवं नोडल अधिकारी, SRL, NVHCP, डॉ. आरती अग्रवाल ने वायरल हेपेटाइटिस के निदान की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।
  2. Management of Viral Hepatitis: असिस्टेंट प्रोफेसर एवं नोडल अधिकारी, MTC, NVHCP, डॉ. सुर्यकमल वर्मा ने वायरल हेपेटाइटिस के प्रबंधन और उपचार के तरीकों के बारे में बताया।
  3. Viral Hepatitis in Special Situations: वरिष्ठ फिजिशियन, प्रो. डॉ. प्रभात अग्रवाल ने विशेष परिस्थितियों में वायरल हेपेटाइटिस के मामलों को कैसे संभाला जाए, इस पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
गर्भवती महिलाओं और नवजातों के लिए विशेष संदेश

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि वायरल हेपेटाइटिस बी और सी, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसे गंभीर रोगों का प्रमुख कारण हैं, जिनका समय पर इलाज संभव है।

विशेष रूप से, यह बताया गया कि सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व हेपेटाइटिस बी की जाँच अनिवार्य होनी चाहिए। साथ ही, संक्रमित माताओं के नवजात शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर HBIG (हेपेटाइटिस बी इम्यूनोग्लोबुलिन) और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की पहली खुराक (O-dose) देना आवश्यक है, ताकि संक्रमण से बचाया जा सके।

कार्यक्रम में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. टी.पी. सिंह, डॉ. प्रभात अग्रवाल, डॉ. मनीष बंसल, डॉ. अजीत सिंह चाहर, डॉ. नेहा आज़ाद, डॉ. चेतन शर्मा, डॉ. आरती अग्रवाल और डॉ. सुर्यकमल वर्मा सहित मेडिसिन विभाग के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया।

जनमानस को यह संदेश दिया गया कि यदि उन्हें पीलिया, भूख न लगना, थकावट, पेट दर्द, गहरे रंग का मूत्र जैसे लक्षण महसूस हों, तो वे तुरंत स्वास्थ्य जाँच कराएं। एस.एन. मेडिकल कॉलेज में नव-उद्घाटित क्लिनिक इस दिशा में एक बड़ा सहारा साबित होगा।

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