23 जुलाई 2025 स्थान: आगरा
- कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में अभिभावक संगठन ‘पापा’ ने जिलाधिकारी के समक्ष विवादास्पद शुल्क नियामक समिति पर उठाई कड़ी आपत्ति।
- DM ने DIOS को समिति की संरचना का “पुनः निरीक्षण” करने का दिया निर्देश।
- अभिभावकों के हक में बड़े फैसले: 5 साल से पहले स्कूल यूनिफॉर्म बदलने पर रोक, 60 दिन पहले फीस वेबसाइट पर डालना अनिवार्य।
- RTE दाखिलों में लापरवाही न बरतने की सख्त हिदायत, जनवरी-मार्च में समिति की बैठकें अनिवार्य।
- ‘पापा’ ने फैसलों को सराहा, लेकिन कहा- “जब तक कमेटी नहीं बदलेगी, न्याय संभव नहीं।”
आगरा। जिला शुल्क नियामक समिति (DFRC) के गठन को लेकर मचे घमासान के ठीक एक दिन बाद, आज कलेक्ट्रेट सभागार में हुई एक हंगामेदार बैठक में जिलाधिकारी ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए कई बड़े फैसले सुनाए, जिन्हें अभिभावकों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अभिभावकों का मूल मुद्दा, यानी समिति की विवादास्पद संरचना, अभी भी जस का तस बना हुआ है, जिसके पुनर्गठन का उन्होंने आग्रह किया है।
आज आयोजित बैठक में, प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स अवेयरनेस (PAPA) के राष्ट्रीय संयोजक दीपक सिंह सरीन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के सामने समिति के सदस्यों पर अपनी आपत्तियों को जोरदार ढंग से रखा।
“यह असली कमेटी है या डमी?” – जिलाधिकारी के सामने गरजे अभिभावक

बैठक में दीपक सिंह सरीन ने सीधे तौर पर सवाल उठाते हुए कहा, “पहले से ही शिक्षा विभाग के सवालों के कटघरे में खड़े स्कूल और उन्हीं स्कूलों से जुड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट को इस कमेटी में रखना बच्चों के हितों के साथ अन्याय है। ये लोग कभी भी छात्रों और अभिभावकों के साथ न्याय नहीं कर सकते।” उन्होंने समिति में शामिल एक अन्य तथाकथित “पेरेंट्स एसोसिएशन” के सदस्य पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी छात्र हित में कोई ठोस काम नहीं किया है।
सरीन ने जिलाधिकारी से सीधे पूछा, “महोदय, हमें यह बताया जाए कि यह जिला शुल्क नियामक समिति वास्तव में न्याय के लिए बनाई गई है या फिर केवल जनता को उलझाने के लिए एक डमी कमेटी बना दी गई है? क्योंकि इसमें अधिकांश सदस्य वे हैं जिनका छात्र हितों से कोई सरोकार नहीं रहा है।”
जिलाधिकारी के बड़े निर्देश, अभिभावकों को मिली राहत
अभिभावकों की शिकायतों और तर्कों को गंभीरता से सुनने के बाद, जिलाधिकारी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण और तत्काल प्रभावी निर्देश दिए:
- समिति का पुनः निरीक्षण: जिलाधिकारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को निर्देश दिया कि वे DFRC की नवगठित कमेटी की संरचना का पुनः निरीक्षण करें और अपनी रिपोर्ट सौंपें।
- फीस में पारदर्शिता: सभी स्कूलों को अपनी पूरी फीस संरचना और हर मद का ब्रेकअप अनिवार्य रूप से नए सत्र से कम से कम 60 दिन पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
- निश्चित समय पर बैठकें: DIOS की यह जिम्मेदारी होगी कि DFRC की बैठकें हर साल जनवरी, फरवरी और मार्च माह में अनिवार्य रूप से आयोजित की जाएं, ताकि अगले सत्र के लिए समय पर नियम तय हो सकें।
- यूनिफॉर्म पर लगाम: अभिभावकों के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए, कोई भी स्कूल अब 5 साल से पहले स्कूल ड्रेस में बदलाव नहीं कर सकेगा।
- RTE में ढिलाई नहीं: जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत बच्चों का शत-प्रतिशत दाखिला सुनिश्चित किया जाए और इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- ट्रैफिक प्रबंधन: स्कूल की छुट्टियों के समय लगने वाले जाम से बच्चों की सुरक्षा के लिए ट्रैफिक प्रबंधन को सुगम बनाने पर भी गहन चर्चा हुई।
फैसले मील का पत्थर, पर पहली शर्त- कमेटी में बदलाव
जिलाधिकारी द्वारा लिए गए इन फैसलों की सराहना करते हुए, PAPA के संयोजक दीपक सिंह सरीन ने कहा, “निस्संदेह, ये कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। हम जिलाधिकारी महोदय की इस पहल का स्वागत करते हैं।”
लेकिन उन्होंने अपनी मूल मांग को दोहराते हुए कहा, “इन सभी सुधारों का लाभ अभिभावकों को तभी मिलेगा, जब न्याय करने वाली कुर्सी पर सही और निष्पक्ष लोग बैठे हों। इसलिए, सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता जिला शुल्क नियामक समिति के सदस्यों में बदलाव करना है। जब तक यह कमेटी स्कूल संचालकों के प्रभाव से मुक्त नहीं होगी, तब तक यह ठीक से काम नहीं कर पाएगी।”
अब सभी की निगाहें DIOS द्वारा किए जाने वाले “पुनः निरीक्षण” और जिलाधिकारी के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं कि क्या आगरा के अभिभावकों को वास्तव में एक निष्पक्ष शुल्क नियामक समिति मिल पाएगी।
































































































