Agra News Today खेरागढ़ के कुसियापुर गांव में डूबने से हुई 13 लोगों की मौत के बाद मातम पसरा है। शनिवार रात गुस्साई महिलाओं ने ठेके पर तोड़फोड़ कर लाखों का माल नष्ट कर दिया।
Agra News Today आगरा के खेरागढ़ क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए हृदय विदारक हादसे के बाद कुसियापुर गांव गहरे शोक में डूबा हुआ है। इस भयानक त्रासदी में गांव के 13 लोग ऊंटगन नदी में डूब गए थे, जिनमें से पांच की मौत हो चुकी है और सात लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश तीसरे दिन भी जारी थी। ऐसे मातम और शोक के माहौल के बीच, शनिवार रात को गांव के बसई नवाब मार्ग स्थित शराब के ठेके पर हो रही बिक्री से ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा। दर्जनों महिलाओं ने एकजुट होकर शराब की दुकान पर धावा बोल दिया और व्यापक तोड़फोड़ कर दी। महिलाओं का कहना था कि जब गांव पर इतना बड़ा संकट आया है और मातम पसरा है, तो शराब की बिक्री असंवेदनशील और अशोभनीय है।
महिलाओं का सामूहिक आक्रोश और तोड़फोड़
यह घटना शनिवार रात करीब 7 बजे की है। कुसियापुर गांव की दर्जनों महिलाएं, जो नदी किनारे चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन और गांव में फैले दुख से आहत थीं, उन्होंने सीधे कंपोजिट शराब की दुकान पर जाकर हंगामा शुरू कर दिया। महिलाओं ने सबसे पहले दुकान बंद करने की मांग की। जब उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया, तो उनका गुस्सा भड़क गया और उन्होंने शराब की बोतलों को तोड़ना शुरू कर दिया।
दुकान के सेल्समैन सोनू परमार ने बताया कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय टेंपो से शराब का माल अनलोड किया जा रहा था। आक्रोशित महिलाओं ने टेंपो में रखे शराब के कार्टनों को फाड़ दिया और सड़क पर फेंककर नष्ट कर दिया। इसके बाद वे दुकान के अंदर घुस गईं और वहाँ रखे गए स्टॉक को भी तोड़फोड़ कर नष्ट कर दिया। इस अचानक हुए हमले और तोड़फोड़ में करीब 8 से 10 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। महिलाओं का यह सामूहिक विरोध शोक संतप्त गांव की सामाजिक चेतना और नैतिकता को दर्शाता है।
हादसे की भयावहता और प्रशासन की मौजूदगी
यह विरोध प्रदर्शन जिस समय हुआ, उसकी पृष्ठभूमि में विसर्जन हादसे की भयावहता थी। ऊंटगन नदी में हुए इस हादसे के कारण पूरा प्रशासन नदी किनारे रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा हुआ था। दुर्घटना की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी, एडिशनल कमिश्नर राम बदन सिंह, डीसीपी पश्चिमी अतुल शर्मा सहित पूरा प्रशासन और पुलिस बल मौके पर मौजूद था और लापता लोगों की तलाश में युद्धस्तर पर काम जारी था। एक तरफ प्रशासन और ग्रामीण लापता लोगों को खोज रहे थे, वहीं दूसरी तरफ गांव के अंदर शराब की बिक्री लोगों के दुख को बढ़ा रही थी। महिलाओं का आक्रोश इसी असंवेदनशीलता के खिलाफ था।
हादसे में जान गंवाने वाले पाँच युवकों के शव मिलने के बाद से ही गांव में चूल्हा नहीं जला था, और हर घर में शोक का माहौल था। ऐसे में शराब की दुकान का खुला रहना और व्यापार करना गांव वालों की भावनाओं को आहत कर रहा था। महिलाओं का यह कदम समाज में व्याप्त इस दुख को व्यक्त करने का एक अभूतपूर्व तरीका था।
पुलिस कार्रवाई और नियंत्रण
शराब के ठेके पर तोड़फोड़ और हंगामे की सूचना मिलते ही थाना प्रभारी मदन सिंह तुरंत पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। हालांकि, जब तक पुलिस वहां पहुंची, महिलाएं तोड़फोड़ कर वापस जा चुकी थीं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और ठेके पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई। इस मामले में पुलिस ने तोड़फोड़ करने वाली महिलाओं के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करने से पहले गांव के मातम भरे माहौल और सामूहिक भावनाओं को ध्यान में रखा है। फिलहाल, पुलिस स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है और गांव के गणमान्य नागरिकों से बातचीत कर मामले को शांत करने का प्रयास कर रही है।
गांव कुसियापुर में मूर्ति विसर्जन का यह हादसा एक सामूहिक त्रासदी बन गया है, और महिलाओं का यह विरोध इस बात का प्रतीक है कि ऐसे गंभीर समय में व्यावसायिक लाभ से पहले मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। स्थानीय प्रशासन अब इस ठेके को आगे खोलने या बंद करने के संबंध में आवश्यक कदम उठाएगा।
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