Agra News एत्माद्दौला पुलिस की कार्रवाई पर झोल, पीआरवी ने दो को बाइक से पकड़ा, एफआईआर में एक को पैदल दिखाया। दूसरे साथी को छोड़ दिया गया।
Agra News आगरा में थाना एत्माद्दौला पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। तमंचे के साथ पकड़े गए एक युवक पर केस दर्ज कर उसके दूसरे साथी को छोड़ देने की घटनाक्रम में पुलिस की कहानी में गंभीर झोल दिखाई दे रहा है। पुलिस रिकॉर्ड और दर्ज केस में तथ्यों का अंतर यह स्पष्ट करता है कि अधिकारियों ने केस को दबाने या तथ्यों को बदलने का प्रयास किया है।
पीआरवी की गिरफ्तारी: दो युवक, एक बाइक
यह पूरा मामला 8 अक्टूबर की शाम का है। महताब बाग क्षेत्र में पीआरवी 3077 (पुलिस रिस्पांस व्हीकल) गश्त पर तैनात थी। शाम 4:45 बजे के करीब बाइक पर दो युवक आते दिखे। पीआरवी के पुलिसकर्मियों को शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने दोनों युवकों को घेरकर पकड़ लिया।
पीआरवी कमांडर एसआई राजेश कुमार, सब कमांडर होमगार्ड जितेंद्र सिंह चौहान, और चालक मुख्य आरक्षी आशीष कुमार ने गिरफ्तारी की थी। तलाशी लेने पर एक युवक के पास से तमंचा और कारतूस बरामद हुआ। इस युवक ने अपना नाम समीर (निवासी गढ़ी चांदनी) बताया। बाइक वही चला रहा था। पीआरवी ने दोनों युवकों और बरामद सामान की सूचना मुख्यालय को मैसेज के जरिए भेजी और दोनों को थाना एत्माद्दौला पुलिस के सुपुर्द किया गया।
केस दर्ज करने में ‘झोल’: बाइक गायब, साथी आजाद
थाना एत्माद्दौला पुलिस ने इस मामले में एसआई मोहित मलिक की तरफ से केस दर्ज किया। यहीं से पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने शुरू हो गए।
दर्ज केस में केवल समीर को ही आरोपी बनाया गया, जबकि बाइक पर सवार दूसरे युवक को छोड़ दिया गया। पुलिस की कहानी का सबसे बड़ा विरोधाभास गिरफ्तारी के समय और तरीके में है:
- समय का अंतर: पीआरवी ने गिरफ्तारी शाम 4:45 बजे दिखाई, जबकि एसआई मोहित मलिक ने समीर की गिरफ्तारी रात 8:10 बजे दिखाई। यह 3 घंटे 25 मिनट का अंतर पुलिस की कार्रवाई पर संदेह पैदा करता है।
- बाइक और पीआरवी की अनदेखी: एसआई मोहित मलिक द्वारा दर्ज केस में पीआरवी 3077 या बाइक का कोई जिक्र नहीं था। केस में दर्शाया गया कि एसआई मोहित मलिक, निर्दोष कुमार, प्रदीप कुमार, और हेड कॉन्स्टेबल विजेंद्र सिंह प्राइवेट वाहनों से चेकिंग कर रहे थे और गश्त करते हुए मेहताब बाग पहुँचे।
- पैदल गिरफ्तारी: एफआईआर में दावा किया गया कि समीर नामक व्यक्ति पैदल दिखा, जो पुलिस को देखकर भागने लगा और उसे घेरकर पकड़ लिया गया। उसकी कमर से तमंचा और जेब से कारतूस मिला। इस तरह पीआरवी की पूरी कार्रवाई और बरामद बाइक को एफआईआर से गायब कर दिया गया।
एसीपी का बेतुका स्पष्टीकरण
मामले पर मीडिया द्वारा सवाल उठाए जाने पर एसीपी छत्ता पीयूषकांत राय ने पुलिस की कार्रवाई का बचाव किया। उन्होंने बताया कि “एक युवक से तमंचा मिला था। वह रंगबाजी में हथियार लेकर जा रहा था। दूसरा युवक बाइक पर साथ था। ऐसे में जिसके पास तमंचा बरामद हुआ उस पर ही कार्रवाई की गई, दूसरे को छोड़ दिया गया।“
एसीपी का यह स्पष्टीकरण कानूनी तौर पर संदेहास्पद है, क्योंकि आमतौर पर पुलिस द्वारा बरामद बाइक को जब्त किया जाता है और साथी पर भी संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने का केस दर्ज होता है। पुलिस द्वारा पहला साथी क्यों छोड़ा गया और एफआईआर में तथ्यों को क्यों बदला गया, इस पर उच्चस्तरीय जाँच की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि एत्माद्दौला पुलिस ने वरिष्ठ अधिकारियों को गलत जानकारी दी और केस को मनमाने ढंग से दर्ज किया।
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