Agra News ताजगंज श्मशान घाट पर मु्र्दा जलाने वाले शमसुद्दीन को जानवर ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया। उसका चेहरा और आंखें गायब हो गई हैं। पुलिस ने जानवर का हमला माना है।
Agra News Today आगरा के ताजगंज श्मशान घाट पर शनिवार की रात एक भयानक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। श्मशान घाट पर मुर्दा जलाने का काम करने वाले एक युवक को बुरी तरह घायल अवस्था में पाया गया। युवक का पूरा चेहरा और आँखों का हिस्सा गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद इस घटना को किसी जंगली जानवर या आवारा कुत्ते का हमला माना है। यह घटना रात में घाट पर रुकने वाले लोगों की सुरक्षा और क्षेत्र में जंगली/आवारा जानवरों की बढ़ती तादाद पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

भयावह मंज़र और युवक की पहचान
पीड़ित युवक की पहचान शमसुद्दीन के रूप में हुई है, जो ताजगंज क्षेत्र के जलाल बुखारी की दरगाह के पास रहता है। शमसुद्दीन पिछले कई सालों से ताजगंज श्मशान घाट पर ही मुर्दे जलाने का काम करता है। काम की अधिकता या सुविधा के चलते वह कई बार रात को श्मशान घाट पर ही सो जाता है। शनिवार रात को भी वह हमेशा की तरह घाट पर ही सोया हुआ था।
रविवार की सुबह जब स्थानीय लोग और अन्य कर्मचारी श्मशान घाट पहुंचे, तो उन्होंने शमसुद्दीन को खून से लथपथ पाया। उसका चेहरा और आँखें बुरी तरह से नोंची हुई थीं। यह नज़ारा इतना भयावह था कि मौके पर मौजूद लोग सिहर उठे और वहां तुरंत कोहराम मच गया।
गंभीर चोटें और अस्पताल में इलाज
घटना की सूचना मिलते ही ताजमहल थाना पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची। पुलिस ने मानवता दिखाते हुए घायल शमसुद्दीन को तुरंत एस.एन. मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि शमसुद्दीन का पूरा चेहरा, विशेष रूप से आँखों के आसपास का हिस्सा, गंभीर रूप से नष्ट हो चुका है। डॉक्टरों के अनुसार, घायल की हालत बेहद नाजुक है और उसका तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया है। डॉक्टरों का प्रारंभिक अनुमान भी यही है कि ये घाव किसी जानवर के हिंसक हमले से आए हैं।
पुलिस और डॉक्टरों की टीम इस बात की जांच कर रही है कि हमलावर जानवर कौन था, क्योंकि इस तरह का बर्बर हमला सामान्य आवारा कुत्तों का काम नहीं हो सकता। घावों की प्रकृति किसी जंगली या खूंखार जानवर की ओर इशारा कर रही है, जिसने शिकार की तरह शमसुद्दीन के चेहरे को निशाना बनाया।
पुलिस की जांच और सीसीटीवी फुटेज
घटना की सूचना मिलते ही ताज सुरक्षा एसीपी अरीब अहमद खुद मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली।
एसीपी अरीब अहमद ने बताया कि प्रारंभिक जांच में घटनास्थल के आसपास किसी भी मानव हमले या संदिग्ध व्यक्ति की आवाजाही के साक्ष्य नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा, “घायल के चेहरे और आँखों पर जो घाव हैं, वे स्पष्ट रूप से किसी जंगली जानवर या आवारा कुत्ते के हमले जैसे प्रतीत हो रहे हैं।” पुलिस सभी एंगल से मामले की गहन जांच कर रही है और डॉक्टरों द्वारा दिए गए घावों के ब्यौरे तथा फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमलावर कौन था। पुलिस का मानना है कि मानव हमले की अपेक्षा किसी जानवर के हमले की संभावना अधिक है।
पिछले साल के हमले और दहशत
इस घटना ने आगरा में जंगली/आवारा जानवरों द्वारा किए गए पिछले हमलों की यादें ताजा कर दी हैं। पुलिस ने बताया कि पिछले साल ताजमहल के पास नगला तल्फी क्षेत्र में भी इसी तरह के खौफनाक हमले हुए थे। उस दौरान लगभग दो दर्जन जानवरों की मौत हुई थी और उन हमलों में भी मृत जानवरों के चेहरे, आँखों और शरीर पर इसी तरह के भयानक घाव मिलते थे। ये घाव भी यही दर्शाते थे कि उन पर किसी शिकारी जानवर ने हमला किया था। इस नए हमले ने एक बार फिर स्थानीय लोगों और श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्मचारियों में गहरी दहशत पैदा कर दी है।
पुलिस अब इस बात की भी जांच करेगी कि क्या नगला तल्फी और ताजगंज श्मशान घाट की घटना में कोई संबंध है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे खूंखार जानवरों की पहचान कर उन्हें पकड़ा जाए ताकि रात के समय श्मशान घाट या खुले में सोने वाले लोगों की जान की रक्षा हो सके। प्रशासन इस संबंध में वन विभाग से भी सहयोग लेने की योजना बना रहा है।
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