Agra News विदेशी साइबर ठगों द्वारा वियतनाम, कंबोडिया में नौकरी के नाम पर ‘साइबर स्लेवरी’ में फंसाने वाले रैकेट के 3 एजेंटों को आगरा पुलिस ने विदेश और गृह मंत्रालय के इनपुट पर गिरफ्तार किया।
आगरा पुलिस ने विदेश और गृह मंत्रालय (MEA & MHA) से मिले इनपुट के आधार पर एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम रैकेट का सफल अनावरण किया है। यह रैकेट वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में बैठकर संचालित हो रहा था, जिसकी कमान चीनी साइबर अपराधियों के हाथ में थी। इन अपराधियों ने भारत के बेरोजगार युवाओं को फंसाने के लिए एक सुनियोजित नेटवर्क तैयार किया था, जिसके तहत युवाओं को ‘साइबर स्लेवरी’ और मानव तस्करी में धकेला जा रहा था।
अपर पुलिस उपायुक्त (नगर/साइबर क्राइम) आदित्य कुमार ने बताया कि इस गिरोह ने पिछले 5-6 साल में कई भारतीय युवाओं का उपयोग करके ₹500 करोड़ से अधिक की साइबर ठगी कराई है।
ऐसे फंसाते थे युवाओं को जाल में
गिरोह के भारतीय एजेंट मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज की नौकरी का झांसा देकर युवाओं को वियतनाम, कंबोडिया या थाईलैंड बुलाते थे।
- जब्त करना और बंधक बनाना: विदेश पहुँचते ही उनका पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिया जाता था।
- ट्रेनिंग: उन्हें बंधक बनाकर रखा जाता और साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती थी।
- अपराध: इन युवाओं से शेयर ट्रेडिंग, हनीट्रैप (Honeytrap) और अन्य साइबर अपराध करवाए जाते थे।
पीड़ितों से मिली जानकारी के अनुसार, वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में स्थित चीनी साइबर ठगों के ऑफिस किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह होते थे, जहाँ कर्मचारियों के रहने के लिए आवास, ₹45 से ₹50 हज़ार प्रति माह का वेतन और ज्यादा ठगी पर ज्यादा कमीशन का लालच दिया जाता था। यह गिरोह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और अफ्रीका से भी युवाओं को बुलाकर ठगी कराता था।
रेस्क्यू और गिरफ्तारी
कुछ महीने पहले विदेश मंत्रालय को ईमेल से शिकायत मिली थी कि कई भारतीय युवाओं को अच्छे पैकेज पर नौकरी की बात कहकर वियतनाम बुलाया गया, जहाँ उनसे जबरन साइबर ठगी कराई जा रही है। विरोध करने पर उन्हें बंधक बनाकर रखा जाता था और खाना-पानी तक नहीं दिया जाता था। भारत आने के लिए भी रुपये की मांग की जा रही थी।
इस जानकारी पर गृह मंत्रालय को सूचित किया गया और बाद में इन युवाओं को रेस्क्यू किया गया। देश लौटने वाले युवाओं से मिली जानकारी संबंधित राज्यों और जिलों की पुलिस से साझा की गई।
आगरा पुलिस को पता चला कि आगरा के 22 युवक विदेश में इस रैकेट का शिकार होकर लौटे हैं। पूछताछ में सामने आया कि मलपुरा के नगला वारे निवासी सौरभ और उसके दोस्त अभिज्ञान को अजय शुक्ला नाम के एजेंट ने ₹3,50,000 प्रति व्यक्ति लेकर बैंकॉक के रास्ते कंबोडिया भेजा था। वहाँ उत्पीड़न के बाद ₹3-3 लाख रुपये वापस लेने के बाद उन्हें आने दिया गया।
गिरफ्तार एजेंट:
- अजय कुमार शुक्ला: (निवासी: ग्राम नोदिया, सीधी, मध्य प्रदेश)
- मोहम्मद आतिफ खान: (निवासी: छोटा चौराहा, उन्नाव)
- आमिर: (महाराष्ट्र के रत्नागिरि से पकड़ा गया, ट्रांजिट रिमांड पर लाया जा रहा है)
पुलिस ने अजय शुक्ला और मोहम्मद आतिफ खान को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया।
एजेंटों की कमाई और आगे की कार्रवाई
पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि इन भारतीय एजेंटों को हर युवक को पहुंचाने के बदले $3,500 तक (लगभग ₹3 से ₹3.50 लाख) मिलते थे। इसके अलावा, जो लोग फर्जी बैंक खाते और सिम उपलब्ध कराते थे, उन्हें भी अलग से रकम दी जाती थी।
साइबर ठग इन रुपयों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर अपने खातों में ट्रांसफर करा लेते थे।
एडीसीपी आदित्य कुमार ने बताया कि रत्नागिरि से पकड़े गए आमिर से भी पूछताछ होगी। पंजाब निवासी एक अन्य आरोपी के बारे में भी जानकारी मिली है, जो अजय के माध्यम से युवाओं को बुलाने के बाद आतिफ तक पहुंचाता था। पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क के सभी सदस्यों पर शिकंजा कस रही है।
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