Agra News दीपावली पर गंधक पोटाश के धमाकों से हवा में घुली गंध से सांस लेना दूभर हुआ। एसएन मेडिकल कॉलेज में 2 दिन में 15 अस्थमा मरीज भर्ती, TV & Chest Department फुल।
Agra News दीपावली के जश्न के बाद भले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘खराब’ (Poor) श्रेणी में न पहुंचा हो, लेकिन गंधक पोटाश (Sulphur Potash) के अनियंत्रित धमाकों और पटाखों ने वातावरण में सूक्ष्म कणों (Particulate Matter) और हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ा दी है। इन धमाकों से निकली तीखी गंध से हवा जहरीली हो गई, जिसका सीधा असर शहर के अस्थमा (Asthma), टीबी (TB) और एलर्जी (Allergy) से पीड़ित मरीजों पर पड़ा है।
SN मेडिकल कॉलेज (SN Medical College) के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट (TB & Chest Department) में मरीजों की संख्या में अचानक बड़ी वृद्धि हुई है। पिछले दो दिनों के भीतर ही गंभीर अस्थमा अटैक (Asthma Attack) के शिकार 15 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है, जिसके चलते बुधवार को पूरा डिपार्टमेंट फुल हो गया। बच्चों को भी सांस लेने में شدید परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उन्हें सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
AQI 168, फिर भी जानलेवा प्रदूषण: ‘लोहे के पाइप’ से हुए धमाके
दीपावली पर परंपरागत पटाखों के साथ-साथ लोहे के पाइप का इस्तेमाल कर गंधक पोटाश के तेज धमाके किए गए। इन धमाकों से निकलने वाली तीव्र गंध और सूक्ष्म कण वातावरण में छा गए। हालांकि, हवा चलने और तापमान अधिक होने के कारण, पटाखों के प्रदूषण तत्व निचली सतह पर जमा नहीं हो पाए, और शहर का औसत AQI (Air Quality Index) 168 दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।
लेकिन AQI की यह औसत रीडिंग गंधक पोटाश की जहरीली प्रकृति को छिपा नहीं सकी। इस प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने से अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), टीबी और एलर्जी से पीड़ित लोगों को सांस लेने में परेशानी के साथ-साथ खांसी की गंभीर समस्या होने लगी। बच्चों में भी यही समस्याएँ तेजी से देखी जा रही हैं।
SN मेडिकल कॉलेज में मरीजों का सैलाब: OPD में रिकॉर्ड वृद्धि
SN मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने स्थिति की गंभीरता की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मंगलवार को OPD में 101 और बुधवार को 105 मरीज परामर्श लेने आए। अस्थमा अटैक के कारण दो दिन में 15 मरीज भर्ती हुए हैं। डॉ. कुमार ने विशेष रूप से बताया कि गंधक पोटाश की गंध से अस्थमा रोगियों को ज्यादा परेशानी हो रही है।
इसके साथ ही, वातावरण में ओजोन और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने से OPD में मरीजों ने घुटन, बेचैनी और घबराहट की शिकायतें की हैं। ऐसे मरीजों को तुरंत दवाएँ देने के साथ ही उनके इन्हेलर की डोज़ बढ़ाई गई है।
मेडिसिन OPD में भी सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अधिक रही, जहाँ 312 मरीजों को परामर्श दिया गया। वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या इतनी अधिक थी कि 51 बेड का वार्ड पूरी तरह भर गया और कोई बेड खाली नहीं बचा।
बाल रोग विभाग में चिंताजनक स्थिति
बच्चों की स्थिति भी चिंताजनक है। बाल रोग विभाग की OPD में 103 मरीज आए, जिनमें से सांस लेने में अत्यधिक परेशानी होने पर 12 बच्चों को तुरंत भर्ती किया गया।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, आगरा के उपाध्यक्ष डॉ. अरुण जैन ने बताया कि पिछले दो दिनों में अस्थमा अटैक और खांसते-खांसते सांस फूलने की समस्या से पीड़ित बच्चों की संख्या में स्पष्ट रूप से बढ़ोतरी हुई है।
नेत्र रोग विभाग: आंखों पर प्रदूषण का प्रभाव
नेत्र रोग विभाग (Ophthalmology Department) में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। विभाग की अध्यक्ष डॉ. स्निग्धा सेन ने बताया कि दो दिनों में 137 मरीज OPD में आए (मंगलवार को 70 और बुधवार को 67)। हालांकि, उन्होंने राहत की खबर दी कि ऐसा कोई गंभीर मरीज नहीं आया जिसकी आँखों की रोशनी बम पटाखों के कारण प्रभावित हुई हो, लेकिन आँखों में जलन और एलर्जी की शिकायतें आम थीं।
विशेषज्ञों की सलाह: प्रदूषण से बचाव के उपाय
डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण बढ़ने पर मरीजों को निम्नलिखित उपाय अपनाने की सलाह दी है:
- अस्थमा सहित सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीज घर के अंदर रहें।
- बाहर निकलने पर N95 मास्क का इस्तेमाल करें।
- अस्थमा रोगी घुटन, बेचैनी या घबराहट महसूस होने पर तुरंत इन्हेलर की डोज़ बढ़ा लें।
- बच्चों को सांस लेने में परेशानी, खांसी ठीक न होने या नाक बंद होने पर सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें।
- आँख में कोई बाहरी कण या वस्तु चले जाने पर साफ पानी से धोएँ और तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
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