Agra News पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने सिकंदरा में 2010 में हुए बेटे, बहू और 2 साल के नाती के ट्रिपल मर्डर कांड के मुख्य सुपारी लेने वाले आरोपी करीम उर्फ बूंदा को गिरफ्तार कर लिया है। पिछले 15 साल से फरार चल रहे इस आरोपी पर पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम रखा था। आरोपी करीम लगातार शहर बदलकर, नाम और पहचान छिपाकर रहता था और पुलिस से बचने के लिए हमेशा चेहरा ढंक कर निकलता था। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने सोमवार को सुनारी गांव के पास से उसे दबोच लिया।
क्या था 2010 का सिकंदरा ट्रिपल मर्डर केस?
यह सनसनीखेज वारदात 2010 में सिकंदरा थाना क्षेत्र में हुई थी, जिसका मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में पिता अनवर को मुख्य साजिशकर्ता बनाया गया था। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अनवर ने अपनी बहू आसमा के द्वारा दहेज उत्पीड़न का मुकदमा लिखवाने से नाराज होकर यह भयानक अपराध करने का फैसला लिया था।
- अपराध की क्रूरता: अनवर ने अपनी बहू आसमा, बेटे शानू और मासूम 2 साल के नाती की हत्या की सुपारी दी थी। हत्या के बाद तीनों शवों को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया था।
- अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी: पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मुख्य साजिशकर्ता अनवर और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। कोर्ट ने इन दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
- सुपारी किलर: अनवर ने हत्या के इस जघन्य कृत्य को अंजाम देने के लिए दो लोगों— गुलशेर और करीम उर्फ बूंदा— को सुपारी देकर हायर किया था। पुलिस ने गुलशेर को तो 2013 में ही गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन करीम उर्फ बूंदा तभी से फरार चल रहा था और पुलिस की आँखों में धूल झोंक रहा था।
15 साल तक पहचान छुपाकर रहने का तरीका
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि फरार चल रहे करीम पर पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। पुलिस लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई थी। पूछताछ में करीम ने पुलिस को बताया कि वह इतने लंबे समय तक कैसे फरार रहने में कामयाब हुआ।
करीम ने बताया कि वह पुलिस से बचने के लिए एक खास रणनीति अपनाता था:
- ठिकाना बदलना: वह अलग-अलग शहरों में किराए के मकान में रहता था, लेकिन एक जगह पर 8 से 10 महीने से ज्यादा नहीं रुकता था। जैसे ही उसे जरा भी शक होता, वह तुरंत अपना ठिकाना बदल लेता था।
- पहचान छिपाना: वह हमेशा नाम और पहचान छिपाकर रहता था ताकि किसी को उसके अतीत के बारे में पता न चले।
- चेहरा ढंकना: सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि करीम जब भी घर से बाहर निकलता था तो कपड़े या गमछे से अपने चेहरे को अच्छी तरह ढंक कर रखता था ताकि कोई उसकी शक्ल न पहचान पाए।
चाय की दुकान से मिली मुखबिर को सूचना
करीम अपने छिपने के दौरान अलीगढ़, हाथरस और आगरा जैसे कई शहरों में ठिकाने बदल चुका था। पुलिस को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि करीम अलीगढ़ में एक चाय की दुकान पर अक्सर आता था। उसकी आदत थी कि चाय पीते समय भी वह अपने चेहरे से कपड़ा नहीं हटाता था।
मुखबिर ने करीम की इस खास पहचान के आधार पर ही पुलिस को उसकी सूचना दी। सोमवार को करीम के आगरा के सुनारी गांव में आने की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे दबोच लिया। 15 साल से फरार चल रहे ट्रिपल मर्डर के इस आरोपी की गिरफ्तारी आगरा पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
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