आगरा के जयपुर हाउस स्थित हॉस्पीटल में डेढ़ साल के मासूम की इंजेक्शन लगने के बाद मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने हॉस्पीटल में जमकर हंगामा किया।
Agra News Today: आगरा के जयपुर हाउस स्थित Suri Maternity Hospital में मंगलवार देर शाम एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया। डेढ़ साल के मासूम बच्चे की इंजेक्शन लगने के तुरंत बाद हालत बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साए परिजन हॉस्पीटल पहुंचे और वहां जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि हॉस्पीटल स्टाफ की लापरवाही से बच्चे की जान गई है।

बीमार था मासूम, कराया था भर्ती
खतैना, लोहामंडी निवासी योगेश शाक्य का डेढ़ साल का बेटा लाला 26 सितंबर से बीमार था। परिजन उसे जयपुर हाउस स्थित हॉस्पीटल लेकर आए। डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया और पूरी रात इलाज चला। अगले दिन बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया और सुबह-शाम इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी गई।
इंजेक्शन लगने के बाद बिगड़ी हालत
मंगलवार शाम परिजन बच्चे को इंजेक्शन लगवाने के लिए हॉस्पीटल लेकर पहुंचे। यहां कंपाउंडर ने इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगते ही बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। बच्चा तड़पने लगा और उसकी स्थिति गंभीर हो गई। यह देखकर कंपाउंडर ने परिजनों से तुरंत दूसरे हॉस्पीटल ले जाने को कहा।

एक से दूसरे हॉस्पीटल तक दौड़ते रहे परिजन
गंभीर हालत में बच्चा बोदला स्थित एक हॉस्पीटल में ले जाया गया। वहां चिकित्सकों ने हालत देखकर तुरंत दिल्ली गेट स्थित दूसरे हॉस्पीटल रेफर कर दिया। जब परिजन वहां पहुंचे तो डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। बच्चे की मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया।
गुस्साए परिजनों ने किया हंगामा
बच्चे के शव को लेकर परिजन वापस जयपुर हाउस स्थित Suri Maternity Hospital पहुंचे। यहां उन्होंने जमकर हंगामा काटा। परिजनों का आरोप था कि कंपाउंडर और हॉस्पीटल स्टाफ की लापरवाही से ही बच्चे की मौत हुई है। मौके पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
पुलिस पहुंची मौके पर
सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई। एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी ने बताया कि परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। लोग कह रहे हैं कि यदि डॉक्टर खुद इंजेक्शन लगाते तो शायद मासूम की जान बच सकती थी। वहीं, परिजनों का कहना है कि हॉस्पीटल प्रशासन को इस गंभीर लापरवाही का जवाब देना होगा।
लापरवाही पर उठे सवाल
यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। आए दिन निजी अस्पतालों में लापरवाही के कारण मरीजों की मौत होती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। इस घटना के बाद एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और जिम्मेदारी पर बहस छिड़ गई है।
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