आगरा। “मेरे बेटे की बेरहमी से हत्या की गई, लेकिन पुलिस ने हमारी एक न सुनी। वो हमें तीन महीने तक टरकाती रही। छोटे बेटे ने भी न्याय दिलाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी।” ये शब्द हैं उस पिता लाल सिंह के, जिनका 18 वर्षीय बेटा राकेश 18 फरवरी, 2024 को लापता हो गया था। दो दिन बाद, उसकी जली हुई लाश एक नीले ड्रम में मिली थी।
पुलिस की निष्क्रियता के कारण लाल सिंह को 20 महीने तक न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने पुलिस के चक्कर लगाए, धमकियां झेलीं, दबंगों के डर से गाँव छोड़ा, और यहाँ तक कि अपने छोटे बेटे की पढ़ाई भी छुड़वा दी। जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो उन्होंने हार नहीं मानी और सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगाई।
सीएम के आदेश के बाद पुलिस हरकत में आई और 20 महीने बाद इस हत्याकांड का खुलासा हुआ।
क्या था पूरा मामला?
आगरा के मलपुरा क्षेत्र में 20 फरवरी को राकेश का जला हुआ शव मिला था, जिसकी पहचान करना मुश्किल था। पुलिस ने अवशेषों का डीएनए राकेश की माँ के डीएनए से मिलाया, जिसके बाद शव की शिनाख्त हुई।
पुलिस के अनुसार, राकेश की हत्या उसी के मुंह बोले मामा देवीराम और उसके ममेरे भाई ने मिलकर की थी। पुलिस ने बताया कि राकेश ने अपने मामा की नाबालिग बेटी का नहाते वक्त वीडियो बना लिया था और उसे ब्लैकमेल कर रहा था। इसी रंजिश में इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस ने मुख्य आरोपी देवीराम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दूसरा आरोपी फरार है।
पिता का लंबा संघर्ष
पिता लाल सिंह ने बताया कि उनका बड़ा बेटा राकेश वीडियोग्राफी का काम करता था। उसके गायब होने के बाद उन्हें देवीराम सहित 6 लोगों पर शक था, क्योंकि उनसे नाली को लेकर झगड़ा हुआ था। उन्होंने कई बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की।
लाल सिंह ने बताया, “पुलिस हमें यही कहती रही कि बेटा कहीं चला गया होगा, खुद वापस आ जाएगा। शव मिलने के बाद भी जाँच में देरी करती रही। आरोपियों की धमकियों के कारण हमें गाँव तक छोड़ना पड़ा।” न्याय के लिए वे आगरा के पुलिस कमिश्नर से 6 बार मिले, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। थक-हारकर उन्होंने सीएम के यहाँ गुहार लगाई, जिसके बाद सीएम ऑफिस के संज्ञान से पुलिस ने हरकत में आकर मुकदमा दर्ज किया।
छोटे भाई ने पढ़ाई छोड़ी
राकेश के छोटे भाई दीपू ने बताया कि जब उनके भाई लापता हुए, तब वह 8वीं कक्षा में थे। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर पिता के साथ मिलकर भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटे। दीपू ने कहा, “मैं बस यही चाहता था कि मेरे भाई के कातिल पकड़े जाएँ।”
पुलिस कैसे पहुँची आरोपी तक?
- डीएनए से राकेश की पहचान होने के बाद पुलिस ने गाँव में पूछताछ की, जहाँ देवीराम का नाम सामने आया।
- शुरू में देवीराम गुमराह करता रहा, लेकिन राकेश के मोबाइल से मिली कुछ ऑडियो क्लिप्स से उसका झूठ पकड़ा गया।
- सख्ती से पूछताछ करने पर देवीराम ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।

आरोपी मामा का कबूलनामा:
गिरफ्तार आरोपी देवीराम ने पुलिस को बताया कि उसने अपने भतीजे नित्यानंद के साथ मिलकर राकेश की हत्या की योजना बनाई थी। उन्होंने राकेश को शादी का झांसा देकर अपनी दुकान पर बुलाया, जहाँ मफलर और तार से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद लाश को एक ड्रम में डालकर नदी किनारे जला दिया और वह दिल्ली जाकर नौकरी करने लगा।


































































































